An Unbiased View of shiv chalisa lyricsl
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कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर,
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
प्रगट उदधि मंथन में Shiv chaisa ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
हनुमान चालीसा लिरिक्स
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
लिङ्गाष्टकम्
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद Shiv chaisa शीश नवावैं॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। more info नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥